Singhstha Kumbh 2028 in Ujjain

​सिंहस्थ कुंभ 2028 उज्जैन: 27 मार्च से 27 मई तक, 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना

भारत की पवित्र और आध्यात्मिक परंपराओं में कुंभ मेले का विशेष स्थान है। हर 12 वर्षों में आयोजित होने वाला सिंहस्थ कुंभ मेला उज्जैन में संपन्न होता है और यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। वर्ष 2028 में उज्जैन फिर से इस ऐतिहासिक और आध्यात्मिक आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है। राज्य सरकार और प्रशासन ने इसकी तैयारियों की शुरुआत कर दी है। इस बार सिंहस्थ कुंभ मेला 27 मार्च से 27 मई 2028 तक आयोजित किया जाएगा और अनुमान है कि इसमें 14 करोड़ से अधिक श्रद्धालु भाग लेंगे।

कुंभ मेला क्या है?

कुंभ मेला हिन्दू धर्म की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसमें लाखों श्रद्धालु संगम या पवित्र नदियों के किनारे आकर स्नान करते हैं। यह स्नान आत्मशुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। कुंभ मेला चार प्रमुख स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में आयोजित होता है। उज्जैन में जब बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करता है, तब सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होता है। यही कारण है कि इसे ‘सिंहस्थ कुंभ’ कहा जाता है।

सिंहस्थ 2028 की तिथि और मुख्य स्नान पर्व

सिंहस्थ कुंभ मेला 2028 की तिथि आधिकारिक रूप से घोषित हो चुकी है। यह भव्य आयोजन 27 मार्च 2028 से 27 मई 2028 तक चलेगा। इस दो महीने की अवधि में तीन शाही स्नान और सात पर्व स्नान निर्धारित किए गए हैं। ये स्नान हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माने जाते हैं और हर श्रद्धालु इन तिथियों पर स्नान करने की कामना रखता है।

प्रमुख शाही स्नान तिथियां:

  1. पहला शाही स्नान: 9 अप्रैल 2028
  2. दूसरा शाही स्नान: 20 अप्रैल 2028
  3. तीसरा शाही स्नान: 8 मई 2028

इन तिथियों पर अखाड़ों के साधु-संत शाही शोभा यात्राओं के साथ स्नान करते हैं, जिसे देखने लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।

14 करोड़ श्रद्धालुओं की संभावना

पिछले सिंहस्थ कुंभ 2016 में लगभग 5 करोड़ श्रद्धालुओं ने भाग लिया था, लेकिन इस बार तीन गुना अधिक, यानी लगभग 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि पिछले कुछ वर्षों में उज्जैन और महाकाल मंदिर की प्रसिद्धि विश्वभर में फैली है। हाल ही में महाकाल लोक और महाकाल कॉरिडोर का निर्माण भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना है।

महाकाल मंदिर: आस्था का केंद्र

उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। सिंहस्थ के दौरान श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ यहीं उमड़ती है। महाकाल मंदिर परिसर को सिंहस्थ 2028 के पहले ही अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त किया जा रहा है। इसमें महाकाल कॉरिडोर, महाकाल थीम पार्क, महाकाल प्लाजा, घाट एरिया, डेक एरिया जैसी सुविधाएं शामिल होंगी। सरकार ने महाकाल मंदिर क्षेत्र के विस्तार में पहले ही चरण में 90% काम पूरा कर लिया है।

प्रशासनिक तैयारी और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास

सिंहस्थ जैसे विशाल आयोजन को सफल बनाने के लिए सरकार ने 3360 हेक्टेयर भूमि पर मेला क्षेत्र विकसित करने की योजना बनाई है। इसमें निम्नलिखित विकास कार्य शामिल हैं:

  • 29.5 किलोमीटर लंबे घाट: क्षिप्रा नदी के दोनों किनारों पर स्नान घाट बनाए जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु स्नान कर सकें।
  • सड़कें और ट्रैफिक व्यवस्था: बेहतर आवागमन के लिए चौड़ी सड़कों, फ्लाईओवर और पार्किंग क्षेत्रों का निर्माण।
  • पेयजल और शौचालय व्यवस्था: मेला क्षेत्र में पर्याप्त पेयजल, बायो-टॉयलेट और स्वच्छता की समुचित व्यवस्था।
  • बिजली और टेलीकॉम नेटवर्क: 24×7 बिजली आपूर्ति और इंटरनेट नेटवर्क की व्यवस्था की जाएगी।

इसके अतिरिक्त, साधुसंतों के लिए स्थायी निर्माण की अनुमति दी गई है। उन्हें मेला क्षेत्र में 10 मंजिला तक के धर्मशाला, मठ और मंदिर बनाने की छूट दी गई है ताकि हर बार अस्थायी टेंट बनाने की आवश्यकता न पड़े।

धार्मिक सर्किट का विकास

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन को एक धार्मिकआध्यात्मिक सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित तीर्थस्थल शामिल किए जाएंगे:

  • ओंकारेश्वर (इंदौर)
  • भादवामाता (आलोट)
  • नलखेड़ा (आगर)
  • खंडवा (दादा धूनी वाले)
  • मंदसौर (पशुपतिनाथ मंदिर)

इससे श्रद्धालुओं को एक साथ कई धार्मिक स्थलों के दर्शन का अवसर मिलेगा और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं

इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन के दृष्टिगत सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था बेहद अहम है। इसके लिए:

  • जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।
  • दूरभाष हेल्पलाइन नंबर, पुलिस सहायता केंद्र और सूचना बूथ स्थापित किए जाएंगे।
  • मोबाइल अस्पताल, एंबुलेंस और हेल्थ कैंप्स की व्यवस्था होगी।

निष्कर्ष

सिंहस्थ कुंभ 2028 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महाकुंभ है। सरकार, प्रशासन और धार्मिक संस्थाएं मिलकर इसे एक ऐतिहासिक और यादगार आयोजन बनाने में जुटी हैं। उज्जैन की पवित्र भूमि एक बार फिर से विश्वभर के श्रद्धालुओं को आमंत्रित कर रही है—धर्म, भक्ति और आस्था की इस दिव्य यात्रा का हिस्सा बनने के लिए।

अगर आप भी इस आध्यात्मिक संगम का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो अभी से तैयारी शुरू कर दीजिए, क्योंकि 2028 का सिंहस्थ कुंभ आपके जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा और आशीर्वाद से भर सकता है।

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